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श्री योगी आदित्यनाथ

माननीय मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश

लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान

लोक कला जन-मानस कि विचारधारा, आत्म चिंतन एवं जीवन शैली की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है , जो क्षेत्रीय सर्जना का अप्रतिम उदहारण प्रस्तुत करते हुए मानवीय मूल्यों के साथ अनुभूत , कल्पना एवं जन विश्वास का सम्मिश्रण है | सहजता, सादापन, सरलता एवं आत्मसंतोष इनकी मूल विशेषता है | लोक कला के विभिन्न स्वरुप है जो ग्रामों एवं नगरों में विद्यमान है, इनके पृष्ठभूमि में लोक गाथा, लोक धर्म एवं लोक परंपरा महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन करते है, जो मूलतः प्रकृति पर निर्भर है, न कि बाज़ारवाद पर | पारिभाषिक रूप से 'लोक' का तात्पर्य ऐसी जनता जो अभिजात्य संस्कार, शास्त्रीयता, पांडित्य चेतना अथवा अहंकार से शून्य है तथा परंपरा के प्रवाह में जीवित है | भारतीय परंपरा में 'लोक' पूर्वजों एवं प्रकृति से जुड़ा हुआ है जो अतीत एवं वर्तमान से जुड़कर भविष्य के लिए सन्नध रहता है |

श्री मुकेश कुमार मेश्राम

प्रमुख सचिव, संस्कृति एवं अध्यक्ष

श्री विनय श्रीवास्तव

निदेशक

श्री जयवीर सिंह

माननीय कैबिनेट मंत्री
संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश

लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान

लोक कला जन-मानस कि विचारधारा, आत्म चिंतन एवं जीवन शैली की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है , जो क्षेत्रीय सर्जना का अप्रतिम उदहारण प्रस्तुत करते हुए मानवीय मूल्यों के साथ अनुभूत , कल्पना एवं जन विश्वास का सम्मिश्रण है | सहजता, सादापन, सरलता एवं आत्मसंतोष इनकी मूल विशेषता है | लोक कला के विभिन्न स्वरुप है जो ग्रामों एवं नगरों में विद्यमान है, इनके पृष्ठभूमि में लोक गाथा, लोक धर्म एवं लोक परंपरा महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन करते है, जो मूलतः प्रकृति पर निर्भर है, न कि बाज़ारवाद पर | पारिभाषिक रूप से 'लोक' का तात्पर्य ऐसी जनता जो अभिजात्य संस्कार, शास्त्रीयता, पांडित्य चेतना अथवा अहंकार से शून्य है तथा परंपरा के प्रवाह में जीवित है | भारतीय परंपरा में 'लोक' पूर्वजों एवं प्रकृति से जुड़ा हुआ है जो अतीत एवं वर्तमान से जुड़कर भविष्य के लिए सन्नध रहता है |

उत्तर प्रदेश की प्रमुख जनजातियाँ

जनगणना 2011 के अनुसार उत्तर प्रदेश में कुल जनजातियों की संख्या 11,34,273 है। संविधान के अनुच्छेद 342 में जनजातियां उल्लेखित हैं।
सबसे ज्यादा जनसंख्या थारू जनजाति की है उत्तर प्रदेश में कुल 12 जनजातियां हैं। सबसे पुरानी जनजाति थारू तथा बुक्सा है।
सबसे ज्यादा जनजाति सोनभद्र जनपद में तथा सबसे कम जनजाति बागपत में हैं।

उत्तर प्रदेश की लोक संस्कृति

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हमारा मूल दृष्टिकोण

भारतीय परंपरा में ‘लोक’ पूर्वजों एवं प्रकृति से जुड़ा हुआ है जो अतीत एवं वर्तमान से जुड़कर भविष्य के लिए सन्नध रहता है |”प्रत्यक्षदर्शी लोकानां सर्वदर्शी भवेन्न:”वस्तुतः लोक में अनुष्ठानिक कार्यों कि प्रधानता होती है, जिसमें चिंतन के व्यापक अर्थ निहित होते है तथा लोकहित का भाव उसके स्वरुप का निर्धारण करते है | लोक कला में उक्त चिंतन, भाव एवं अनुष्ठानों से जुड़े प्रदर्श एवं प्रसंग को नियोजित रूप से संरक्षित एवं संवर्ध्दित किया जाना संस्थान का मुख्य उद्देश्य है|

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संस्थान

लोक कला जन-मानस कि विचारधारा, आत्म चिंतन एवं जीवन शैली की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है , जो क्षेत्रीय सर्जना का अप्रतिम उदहारण प्रस्तुत करते हुए मानवीय मूल्यों के साथ अनुभूत , कल्पना एवं जन विश्वास का सम्मिश्रण है |

संगठनात्मक ढांचा

६ व्यक्तियो को राज्य सरकार द्वारा कुमायूं , गढ़वाल, ब्रज, बुंदेलखंड, अवध, और भोजपुरी कलाक्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने हेतु नामित किया जायेगा

दीर्घा

लोक कला में उक्त चिंतन, भाव एवं अनुष्ठानों से जुड़े प्रदर्श एवं प्रसंग को नियोजित रूप से संरक्षित एवं संवर्ध्दित किया जाना संस्थान का मुख्य उद्देश्य है |

कार्यकलाप

पारम्परिक स्वरुप- आस्था, विश्वास, वेश-भूषा, आहार व्यवहार, प्रदर्श कलाएं, नृत्य गायन वादन तथा अन्य |क्रियान्वयन- ब्लाक स्तर पर प्रतिभा खोज हेतु कार्यक्रम, कलाकारों कि निर्देशिका, कार्यशालाओं का आयोजन, सांस्कृतिक चौपाल आदि |

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